एक तरफा प्यार


 वो प्यार ही क्या जो पूरा हो जाए,
 और वो इश्क़ कि कहानी ही क्या जो मुक़म्मल हो जाए।

 जब जब तुझको मैंने देखा,  
 ये वक़्त यूँही ठहर जाए मैंने बस यही सोचा।

 तुझे अंदाज़ा नही मेरी कोशिशों का,
 तुझे पाने की मेरी नाकाम चाहतों का।

 तुझे नज़र चुरा कर नज़र भर देख लेना,
 एक ही नज़र में सौ बार निहार लेना।

 तुझसे हर रोज़ मिलने के बहाने खोजना,
 तुझसे मिलकर तुझे कैसे याद रहूँ बस यही सोचना।

 बस अब यही और यही काम बन गया था मेरा,
 तुझे इस क़दर चाहा कि आशिक़ नाम बन गया था मेरा।

 कुछ दूर तेरे साथ चलने का ख़्वाब तो मैंने देखा था,
 पर शायद तेरे जवाब को मैंने तेरी आँखों मे देखा था।

 मैं लाख जतन करलूं तुझसे दूर जाने की,
 पर मेरी सारी कोशिशें नाकाम है तुझे भूल जाने की।

 तो क्या हुआ जो मेरा इश्क़ मुक़म्मल हो नही सकता,
 तू मेरा नही, मैं तेरा हूँ इस बात को कोई झुठला नही सकता।
  
 मैं तेरे बिना खुश नही तुझे इस बात का ज़रा भी इल्म नही,
 पर तु जहाँ है, जिसके साथ है खुश है तो मेरे लिए काफी है वही।
                                                                                                    -- तन्मय प्रकाश जोहरी

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