तू और मैं


मैं वक़्त का एक लम्हा हूँ,
और तू महीने बारा है

मैं गली का एक कूंचा हूँ,
और तू शहर सारा है

मैं बादल का एक हिस्सा हूँ,
और तू आसमाँ सारा है।

मैं तालाब का ठहरा हुआ पानी हूँ,
और तू नदियों कि बहती धारा है।

मैं माथे की एक बिंदिया हूँ,
और तू श्रृंगार सारा है।

मैं तो बस दिल एक टुकड़ा हूँ,
और तू मेरी साँस का इकतारा है।

मैं एक लिखी हुई ग़ज़ल हूँ,
और तू मेरे जीवन का गीत सारा है।

                                                  --- तन्मय प्रकाश जोहरी 


Comments

Popular Posts